जालंधर (Jatinder Rawat)- पंजाब और पड़ोसी राज्यों से डीएवी यूनिवर्सिटी आये एक्सपर्ट्स, प्रगतिशील किसानों और स्टूडेंट्स ने मोटे अनाजों को भविष्य में खाद्य सुरक्षा, कुपोषण और जलवायु परिवर्तन से लड़ने की कुंजी बताया है। यूनिवर्सिटी की ओर से मोटे अनाजों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से करवाई गयी इस दो दिवसीय वर्कशॉप में एक्सपर्ट्स ने कहा कि देश में सदियों से उपयोग में लाये जा रहे खाद्यान्न चमत्कारी अनाज हैं।
यह कार्यक्रम डीएवी यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ़ एग्रीकल्चरल साइंसेज द्वारा सरकार के पर्यावरण, वानिकी और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के मिशन लाइफ के तहत पंजाब स्टेट काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी के सहयोग से करवाया गया था। कार्यक्रम इंटरनेशनल ईयर ऑफ़ मिल्लेट्स २०२३ को समर्पित था।
वर्कशॉप ने पार्टिसिपेंट्स को टिकाऊ कृषि, खाद्य सुरक्षा और बेहतर पोषण के लिए मोठे अनाजों के संभावित लाभों के बारे में अधिक जानने के लिए एक मंच प्रदान किया।
कार्यक्रम के दौरान, कई विशेषज्ञों ने बाजरा पर अपनी अंतर्दृष्टि साझा की। पंजाब में खेती विरासत मिशन के कार्यकारी निदेशक उमेंद्र दत्त ने खाद्य श्रृंखला पर कीटनाशकों और कीटनाशकों जैसे रसायनों के नकारात्मक प्रभावों पर प्रकाश डाला। उन्होंने जीवन शैली को बदलने और बाजरा को दैनिक आहार की आदतों में शामिल करने की आवश्यकता पर जोर दिया। बटाला के एक प्रगतिशील किसान गुरमुख सिंह ने मोठे अनाज उगने की कृषि पद्धतियों के बारे में बात की, जबकि हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. एस के शर्मा ने वैश्विक परिदृश्य में इन अनाजों की स्थिति पर चर्चा की।
हिमाचल के एक प्रगतिशील किसान और पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित नेक राम शर्मा ने मोठे अनाजों की खपत के स्वास्थ्य लाभों पर प्रकाश डाला। उन्होंने खेती में स्थिरता के लिए इन फसलों की खेती किचन गार्डनिंग के तौर परकरने का सुझाव दिया। नई दिल्ली में आईसीएआर-नेशनल ब्यूरो ऑफ प्लांट जेनेटिक रिसोर्सेज के निदेशक डॉ आर. के. गौतम ने भोजन के रूप में बाजरा, उनके पोषण लाभ और पर्यावरण सुरक्षा के दृष्टिकोण के बारे में बात की। पंजाब स्टेट काउंसिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के रिसोर्स पर्सन डॉ अखिल शर्मा ने मोठे अनाजों की खेती को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न सरकारी पहलों पर चर्चा की और पंजाब में मिल्लेट्स की खेती से जुड़ी सफलता की कहानियों को साझा किया। पंजाब में कृषि विभाग के एक विशेषज्ञ जसविंदर सिंह ने प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के बारे में बात की और बताया कि कैसे ये अनाज वैल्यू ऐडिंग से किसानों के लिए एक फायदे का सौदा बन सकते हैं।
डीएवी यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर डॉ मनोज कुमार ने कहा कि मिल्लेट्स भविष्य का भोजन हैं और कई प्रकार के स्वास्थ्य लाभ प्रदान करते हैं। इस आयोजन में स्टार्ट-अप आइडियाज के लिए एक प्रतियोगिता और बाजरा-आधारित खाद्य उत्पादों की प्रदर्शनी भी शामिल रही।