शहीद मंगल पांडे जैसे क्रांतिकारियों की शहादतों को देशवासी कभी भुला नहीं सकते :मनोरंजन कालिया
मोदी जी की नीतिओं का हर भारत वासी सहयोग करे वही मंगल पांडे को सच्ची श्रदांजलि है -किशनलाल शर्मा
पंडित दीनदयाल उपाधयाय स्मृति मंच ने शहीद मगल पांडे का बलिदान दिवस मनाया
जालंधर – पंडित दीनदयाल उपाधयाय स्मृति मंच की तरफ से 1857 में भारत को आज़ाद करवाने की पहली लड़ाई लड़ने वाले शहीद मंगल पांडेय का बलिदान दिवस का कार्यक्रम गुरु गोबिंद सिंह एवेंन्यू लक्की आयल कैर्रिएर में सम्पन हुआ| कार्यक्रम का शुभारंभ कृति शर्मा द्वारा देश भक्ति का गीत भारत माता तेरी सेवा करदे जवागे गाकर किया गया । इस अवसर पर भाजपा के राष्ट्रीय सचिव डॉ मोहिंदर सिंह, पूर्व भाजपा कैबिनेट मंत्री मनोरंजन कालिया विशेष तौर मौजूद रहे।इस अवसर पर राष्ट्रीय सचिव डॉ मोहिंदर सिंह,ने कहा की मंगल पाण्डेय जी का जन्म 1857 में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के पहले क्रांतिकारी के तौर पर विख्यात मंगल पांडे की लगाई चिंगारी ने 90 वर्ष बाद 1947 में अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया था। उनका जन्म 19 जुलाई, 1827 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के नगवा में हुआ। कई इतिहासकारों का कहना है कि उनका जन्म फैजाबाद की अकबरपुर तहसील के सुरहुरपुर गांव में हुआ था। रोजी-रोटी की मजबूरी ने युवावस्था में उन्हें अंग्रेजों की फौज में नौकरी करने को मजबूर कर दिया।ईस्ट इंडिया कम्पनी की क्रूर नीतियों ने लोगों के मन में अंग्रेज हुकूमत के प्रति पहले ही नफरत पैदा कर दी थी, लेकिन हद तब हो गई जब 9 फरवरी, 1857 को भारतीय सैनिकों को एनफील्ड बंदूकें दी गईं। नई बंदूकों में गोली दागने की आधुनिक प्रणाली का प्रयोग किया गया था, परन्तु गोली भरने की प्रक्रिया पुरानी थी। कारतूस भरने के लिए दांतों से काट कर खोलना पड़ता था। कारतूस के ऊपरी हिस्से पर लगी चर्बी उसे सीलन से बचाती थी।यह अफवाह फैली कि कारतूस की चर्बी सूअर और गाय के मांस से बनाई गई है। यह बात हिंदुओं के साथ-साथ मुस्लिमों की धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ थी। मंगल पांडे ने इसे मुंह से काटने से मना कर दिया और साथी सिपाहियों को भी इसके विरुद्ध विद्रोह के लिए प्रेरित किया जिससे अंग्रेज अधिकारी गुस्सा हो गए।
उसी दौरान अंग्रेज अफसर हेयरसेय उनकी तरफ बढ़ा लेकिन मंगल पांडे ने उसे वहीं ढेर कर दिया जिसके बाद अंग्रेज सैनिकों ने उन्हें पकड़ लिया। 6 अप्रैल 1857 को उनका कोर्ट मार्शल किया गया और बिना किसी दलील-अपील के 18 अप्रैल को फांसी देने का हुक्म सुना दिया गया लेकिन 1857 की क्रांति के इस नायक को 10 दिन पहले ही चुपके से 8 अप्रैल, 1857 को पश्चिम बंगाल के बैरकपुर में फांसी देकर शहीद कर दिया गया।
इस अवसर पर मनोरंजन कालिया ने कहा की देश की आने वाली पीढ़ियां आजाद हवा में सांस ले सकें और उनका भविष्य सुरक्षित हो, इसके लिए देश के कई नौजवानों ने अपने वर्तमान की कुर्बानी दे दी। आठ अप्रैल का दिन इन्हीं को समर्पित है। 1857 में देश में आजादी की पहली चिंगारी सुलगाने वाले मंगल पांडे को आठ अप्रैल के दिन फांसी दे दी गई थी।
इस दिन के साथ एक और घटना भी जुड़ी है। देश में धधकती आजादी की आंच पूरी दुनिया तक पहुंचाने के लिए भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त जैसे आजादी के परवानों ने आठ अप्रैल 1929 को दिल्ली के सेंट्रल असेंबली हॉल में बम फेंका था। इस बम धमाके का मकसद किसी को नुकसान पहुंचाना नहीं बल्कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन की तरफ दुनिया का ध्यान आकृष्ट करना था।उन्होंने कहा की देश को आज़ादी शहीद मंगल पांडे जैसे क्रांतिकारियों की शहादतों के चलते मिली है जिनकी शहादत पर हर भारत वासी को फक्र है|
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता मंच के पंजाब प्रधान किशनलाल शर्मा ने की | इस अवसर पर किशनलाल शर्मा ने युवाओ को सम्बोदित करते हुए कहा आज़ादी के महानायक वीर शाहिद मंगल पांडेय से डरती थी अंग्रेजी हकूमत और कहा कि स्वतंत्रता संग्राम की बात हो और अमर जवान मंगल पांडेय का जिक्र ना हो ऐसा संभव नही मंगल पांडेय जी प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणीय दूत थे शहीद मंगल पांडे ने अंग्रेज़ो के खिलाफ क्रांति की चिंगारी जला भारत वासियो में आज़ादी की ज्वाला को जन्म दिया था जिसके बाद हर भारत वासी ने अंग्रेज़ो से लड़कर आज़ादी पाने का सपना देखा था|उन्होंने कहा मोदी जी की नीतिओं का हर भारत वासी सहयोग करे वही मंगल पांडे को सच्ची श्रदांजलि है।
इस अवसर पर विनीत शर्मा ने कहा देश में सामाजिक समरसता बनाये रखने के लिए युवाओ एवं देश वासियो को हमेशा देश की आज़ादी के लिए अपने प्राण देने वाले शहीदों के दिवस जर्रूर मनाने चाहिये| इस मोके पर किशनलाल शर्मा,विनीत शर्मा,चन्दन भनोट,शाम शर्मा, परषोतन कुमार, संजीव मिंटू, दविंदर मिंटू, पवन लूथरा, धर्मपाल,सतनाम सिंह, सरवन शर्मा,मुनीश कुमार, कुलविंदर, अजमेर सिंह बादल, गुरप्रीत सिंह, परमजीत सिंह, जसपाल, गौरव शर्मा, वरिंदर, संजय,अन्य नौजवान उपस्तित थे|