2,500 करोड़ की प्रतिभूतियां बेचकर लिया कर्ज : महिला किसान यूनियन का आरोप
चंडीगढ़, – महिला किसान यूनियन ने आम आदमी पार्टी (आप) सरकार पर भारी कर्ज लेने का आरोप लगाते हुए कहा है कि आप पार्टी विपक्ष में रहते हुए भारी कर्ज लेने के लिए तत्कालीन सरकारों की आलोचना करती रही है किन्तु आप सरकार भी अब राज्य के मामलों को चलाने के लिए कर्ज पर निर्भर है और मुख्य मंत्री द्वारा शपथ लेने के दो सप्ताह के भीतर ही मार्च में 2,500 करोड़ रुपये की ऋण पत्र (प्रतिभूतियां) बेच कर सरकारी खर्चों को कवर किया जा है।
आज यहां जारी एक बयान में इसका खुलासा करते हुए महिला किसान यूनियन की अध्यक्ष बीबी राजविंदर कौर राजू ने कहा कि नवगठित राज्य सरकार ने 29 मार्च, 2022 को कुल 2,500 करोड़ रुपये कर्ज जुटाने के लिए 20 वर्षीय टर्म बांड के राज्य विकास ऋण (एसडीएल) की नीलामी भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा की गई है।
किसान नेता ने कहा कि लोगों को मुफ्त ‘उपहार‘ देने और सब्सिडी के बड़े बिलों ने राज्य सरकारों को भारी कर्ज लेने और जीवनयापन करने के लिए मजबूर किया है। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी पिछली राज्य सरकार द्वारा चालू वित्त वर्ष के दौरान भारतीय रिजर्व बैंक के माध्यम से ऐसे बांडों और विकास पत्रों की नीलामी के माध्यम से कई करोड़ रुपये ऋण जुटाकर बजट व्यय को पूरा किया गया।
उन्होंने कहा कि पिछले सप्ताह ही मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात करके उनसे एक लाख करोड़ रुपये की सहायता देने को कहा था जिसे राज्य के अधिकांश लोगों को बुरा लगा था क्योंकि आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा चुनाव के दौरान स्पष्ट रूप से घोषणा की थी कि आप सरकार राज्य में भ्रष्टाचार और अवैध खनन को खत्म करके 50,000 रुपये के विकास कोष की व्यवस्था करेगी।
बीबी राजू ने कहा कि कर राजस्व की वसूली और अतिरिक्त वित्तीय संसाधन जुटाने में राज्य सरकारों की लापरवाही के कारण पंजाब पर आज लगभग 3 लाख करोड़ रुपये का सीधा कर्ज है। महिला नेता ने चिंता व्यक्त की कि मौजूदा सत्ताधारी दल ने जिस तरह से चुनाव के दौरान मतदाताओं को चुनावी वादे और गारंटियां दी हैं उससे पता चलता है कि यह कर्ज अगले पांच वर्षों में बढ़कर 5 लाख करोड़ रुपये हो सकता है।
राज्य विकास ऋण (एसडीएल) : गौरतलब है कि एसडीएल बजट व्यय को पूरा करने और विकास परियोजनाओं को लागू करने के लिए राज्य सरकार द्वारा जारी एक प्रकार के बांड हैं। इन बांडों पर ब्याज का भुगतान हर आधे साल में किया जाता है और मूल राशि का भुगतान परिपक्वता तिथि पर करना होता है। ऐसे राज्य विकास ऋणों की नीलामी राज्य सरकार द्वारा सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के लगभग 3.5 प्रतिशत तक की उधारी की सीमा के भीतर ही की जा सकती है। किसी राज्य की वित्तीय स्थिति जितनी बेहतर होगी, बांड पर ब्याज दर उतनी ही कम होगी।