जालंधर (Jatinder Rawat)- एक हजार से अधिक छात्रों, शोधार्थियों और विशेषज्ञों ने डीएवी यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित तीन दिवसीय पर्यावरण जागरूकता कार्यक्रम के उद्घाटन के अवसर पर पॉल्यूशन से निपटने के तरीकों पर चर्चा की। उन्होंने वेस्ट मैनेजमेंट और रीसाइक्लिंग के महत्व पर भी जोर दिया। इस कार्यक्रम का आयोजन भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय द्वारा मिशन लाइफ के तहत पंजाब स्टेट काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी (पीएससीएसटी) द्वारा किया गया है।
कार्यक्रम का उद्देश्य जमीनी स्तर पर पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने में छात्रों को शामिल करना है। मुख्य अतिथि पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड (पीपीसीबी) के अध्यक्ष प्रोफेसर (डॉ.) आदर्श पाल विग ने वर्मीकल्चर के माध्यम से वेस्ट मैनेजमेंट के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कचरे से उपयोगी उत्पाद उत्पन्न करने के लिए केंचुओं की क्षमता पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि सरकार ने राज्य भर के स्कूलों और उच्च शिक्षा संस्थानों में वर्मीकम्पोस्टिंग इकाइयों की स्थापना की पहल की है।
गुरु नानक देव विश्वविद्यालय (जीएनडीयू), अमृतसर में बॉटनी और एनवायरनमेंट साइंस डिपार्टमेंट में प्रोफेसर डॉ. सरोज अरोड़ा ने दुनिया भर में वनस्पतियों और जीवों पर तापमान में भारी उतार-चढ़ाव के प्रतिकूल प्रभावों की ओर इशारा किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मानव “विकास” के प्रयासों के कारण ग्रीनहाउस गैसों में वृद्धि हुई है। उन्होंने स्टूडेंट्स को पर्यावरण को बचाने के लिए जनता को शिक्षित करने की जिम्मेदारी लेने का आह्वान कियापीपीसीबी के मेंबर सेक्रेटरी जी.एस. मजीठिया ने पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के लिए रीसाइक्लिंग को कुंजी बताया।
डीएवी यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर डॉ. मनोज कुमार ने कहा कि इस तरह के आयोजन पर्यावरण के मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और युवाओं को एक स्थायी भविष्य की दिशा में काम करने के लिए प्रेरित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने विभिन्न शैक्षणिक और अनुसंधान कार्यक्रमों के माध्यम से पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए डीएवी विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की। गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी में रिसर्च स्कॉलर सतवीर सिंह ने वर्मीकम्पोस्टिंग पर एक वर्कशॉप आयोजित की। उन्होंने डीएवी यूनिवर्सिटी में वर्मीकम्पोस्टिंग यूनिट की स्थापना करने के लिए अपनी महारत साझा की।
इस कार्यक्रम में अन्य गणमान्य व्यक्तियों में पंजाब स्टेट काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी (पीएससीएसटी) के डायरेक्टर डॉ. जतिंदर अरोड़ा, जॉइंट डायरेक्टर डॉ. कुलबीर बाथ, प्रोजेक्ट साइंटिस्ट डॉ. मंदाकिनी और डीएवी यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डॉ. के.एन. कौल शामिल थे। इस कार्यक्रम की कोआर्डिनेशन बॉटनी और जूलॉजी में क्रमश सहायक प्रोफेसर डॉ. हरप्रीत वालिया और डॉ. तेजिंदर कौर द्वारा की गई।